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Sarika Jinturkar

Others

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Sarika Jinturkar

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जाने कहाँ गए वो दिन

जाने कहाँ गए वो दिन

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छूट गए वो रास्ते 

जिन पर साथ हम चलते थे 

गुजर गए वो दिन जो तुम्हारी राह तके ढ़लते थे  


जाने कहाँ गए वो दिन ,

जादुई ख्वाबों की 

जाने कहाँ गई वो जिंदगी 

जहाँ और ना कोई फिकर थी 

मसले बस दिल के चलते थे  


दिल अब भी धड़कता है पर किसी को अब नहीं

 बताते कि आईना देखकर अब हम नहीं मुस्कुराते  


खुशबू आती है गुलशन से पर जाने क्या नाराजगी है 

भवरे भी अब फूलों पर नहीं मंडराते  


कभी कबार बोल देते, थोडा गुनगुनाते हैं तनहाई में 

ऊँचे सुर में वह पहली तरह अब हम नहीं गाते 


खिड़की से गुजर कर झाकते हैं नैना 

पर अब हवा के झोंके मेरा दरवाजा नहीं खटखटाते,

जागना तो रातों में अब एक आदत सी बन गई है 

पर न जाने क्यों वो हसीन ख्वाब अब नहीं आते  

लगता है उम्र के यह ना जाने किस मोड़ पर खड़े हैं हम 

ए -जिंदगी ,जहाँ जाने की तमन्ना है 

वह अब रास्ते नहीं जाते  जाने कहाँ गए वो दिन 

जो अब लौट के नहीं आते.



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