खुद से मिल लूँ मैं
खुद से मिल लूँ मैं
कुछ फुर्सत के पल दे जिंदगी
थोड़ा खुद से मिल लूँ मैं
सखियों के संग खेली लुकाछिपी
वो शरारत, वो मस्ती
लड़ना-झगड़ना फिर से मुस्कुराना
यादगार लम्हों में
थोड़ा सा जी लूँ मैं
कुछ फुर्सत के पल दे जिंदगी
थोड़ा खुद से मिल लूँ मैं..
माँ और भैया का लाड, दुलार
दादी की वह प्यारी सी फटकार
पापा की डांट
रूठने पर दादा का
वो बेशुमार प्यार
आँखों में अपने भर लूँ मैं
कुछ फुर्सत के पल दे जिंदगी
थोड़ा खुद से मिल लूँ मैं...
बचपन का वह अल्हड़पन
और स्कूल, कॉलेज
की नादान मस्तियां वह बेफिक्री के लम्हे फिर से जी लूँ मैं
जीवन संघर्ष के
चक्रव्यूह से निकल
उन्मुक्त ख्यालों की उड़ान भर
कुछ पल खुद को भी दे लूँ मैं
कुछ फुर्सत के पल दे जिंदगी
थोड़ा खुद से मिल लूँ मैं..
