बीते लम्हे
बीते लम्हे
गुजरा हुआ वक्त बड़ा सुहाना था
एक अलग जिसका फसाना था
हर कोई आज खुद में यादों की खुशबू लिए फिरता है
हर पुरानी किताब में कुछ सूखे से गुलाब रखता है
बीते लम्हें जब भी याद आते हैं
लगता है कहीं छोड़ आए जिंदगी
किसी से शिकायतें,किसी से प्यार बेशुमार
तो कोई किसी से नाराज है
अकेलेपन में ही बैठे हैं यादों की परीक्षा में कि
आज खुद के ही प्रश्नों के हम खुद जवाब हैं
देखकर पुरानी तस्वीरे, बड़े बेबस हम आज हैं ,
होठों पे चंद मुस्कुराहटें और आँखों में आँसू बेहिसाब है
जिंदगी और कुछ भी नहीं, जीने के लिए ख्वाब और
बढ़ती हुई उम्र का सफर आज भी है ..