वादियां
वादियां
1 min
176
एक जमाना था जब याराना था
उन वादियों से रिश्ता पुराना था
वह फिजा भी निराली थी,
थक हार जब दोस्तों के साथ बैठे मानो जन्नत यहाँ मिल जाती थी
महकती फिज़ाओं की खुशबू नई उमंग जगाती थी
जीने की हमको नई राह दिखाती थी
जहाँ नदियाँ भी खिलखिलाती थी
पहाड़ पुकारते थे हमें,
वादियां भी गुनगुनाती थी
बदलने लगा है अब सब, पहले सा सुकून नहीं रहा अब
अब छूट रही है डोर ना
जाने क्यों..?
इंसानों से कतराने लगी यह हसीन वादियां मानो अब मुरझाने लगी है क्यों..?