कुछ यादें, कुछ बातें
कुछ यादें, कुछ बातें

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समय के साथ भागता,
रेत सा फिसलता जीवनचक्र
फिर वापस नहीं आता,
बीत जाते हैं जो पल
बीत जाते है जो क्षण,
बटोर लेने चाहिए,
कुछ यादें, कुछ बातें
बंद कर लेनी चाहिए,
कुछ ख्वाब आंखों में।
कुछ आशाएं, कुछ आशीष
रख लेने चाहिए पास
संजोकर अपने करीब।
जाने नहीं देना चाहिए
वक्त के साथ उनको
जो हम रख सकते हैं पास।
रेत की तरह फिसल तो
जाता है वक्त के साथ
हमारे हाथों से बहुत-कुछ
पर फिर से उठालो
फिर से बना लो
वो टीले जो हर बार
फिसल जाते हैं
वक्त के साथ।
क्योंकि फिर वापस नहीं आता,
समय के साथ भागता,
रेत सा फिसलता जीवनचक्र।