पाती प्रेम भरी
पाती प्रेम भरी

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लिखती हूँ तुझे
पाती प्रेम भरी
मैं कोरे कागज़ पर
अपने अरमानों की
स्याही से
हर पल, हर क्षण को
कभी तुम पढ़ लेना
आँखों के आँसू को
सुबह की लालिमा को
गोधूलि के बादल को
लिखती हूँ मैं सबकुछ
तुम समझ लेना
दबे हुए लफ्जों को
निकल रहे आँसूओं को
सब पढ़ लेना रात की
चाँदनी को,
जी लेना उस क्षण को
मेरे शब्दों में
मैं सब लिख देती हूँ
तुम्हारी आहट को
मेरी धड़कन को
रूकी हुई सांसों को
तुम सब पढ़ लेना
कागज़ कोरा है मेरा
मैंने सब लिखा दिया हैं
तुम समझ लेना
मेरे भावों को
मैं लिख रही हूँ।
मन की पाती
मेरा प्रेम पत्र
तुम पढ़ लेना ।