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Soni Kedia

Abstract

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Soni Kedia

Abstract

ज्योत जला लेना

ज्योत जला लेना

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जब चहुँ ओर अंधेरा छा जाए,

मन तुम्हारा बहुत घबराए,

आ जाना तुम खुद के करीब,

होती यही से मजबूत हर नींव,

आशाओं के ज्योत जला लेना।


अपने पथ से न डगमगाना,

फिर से रोशनी भी आएगी,

ख़ुशियाँ फिर से छाएगी,

दामन विश्वास का थाम लेना।


बुझती लौ को हवा देना,

रास्ते बंद होते नहीं हैं

बस वो हमें दिखते नहीं है।


लहरें भी हट जाएगी,

तुफान भी थम जाएगा,

पतवार जोर से थामें रहना

मंजिल भी मिल जाएगी।


जब चहुँओर अंधेरा छा जाए

मन तुम्हारा बहुत घबराए

आ जाना तुम खुद के करीब,

होती यही से मजबूत हर नींव।


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