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Soni Kedia

Abstract

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Soni Kedia

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दाग़

दाग़

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दाग़ कब अच्छे होते हैं

जब भी लगता है

सभी का मन

विचलित होता है,


घंटों लगते हैं

कपड़ों पर लगे दाग़

को साफ करने में।

एक दाग भी 

बर्दाश्त नहीं होता


दाग़ कब, किसको 

अच्छे लगते हे।

चाहे कपड़ों पर, 

चाहे चेहरे पर,

मन खराब हो जाता है।


फिर चरित्र पर लगा दाग़

कैसे बर्दाश्त हो ।

कपड़ों पर लगे दाग़

साफ़ न हो तो

फेंक देते हैं,

छोड़ देते हैं।

चेहरे पर लगे दाग़


कभी हट जाते

कभी रह जाते,

कभी हल्के से

दिखते रहे जाते थे।

पर चरित्र पर लगा

दाग़ हल्का नहीं होता।


दूसरों के कारण 

लगा तो 

कभी भी नहीं।

जीवनपर्यंत

चलता रहता है..

हटता ही नही।


वस्तु पर लगा 

दाग़ दिखता है,

पर दुखता नहीं।


चरित्र पर लगा 

दाग दुखता है,

दिखता नहीं।


जिन्दगी में भी,

जिन्दगी के बाद भी।

दाग़ कब अच्छे होते हैं

दाग़ कब अच्छे होते हैं।


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