कुछ तो था
कुछ तो था
कुछ तो था
जो छूट रहा था,
दिल ही दिल में
टूट रहा था,
कुछ तो था !
ना थी
खबर मुझे
ना चल रहा था
कुछ पता,
मन ही मन में
खटक रहा था,
कुछ तो था
जो छूट रहा था
कुछ तो था !
एक आग लगी थी
सीने में,
ना था सुकून जीने में,
बनके बीज मुझमें वो
पनप रहा था,
कुछ तो था
जो छूट रहा था
कुछ तो था !