Rajit ram Ranjan

Romance

5.0  

Rajit ram Ranjan

Romance

कुछ तो था

कुछ तो था

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कुछ तो था 

जो छूट रहा था, 

दिल ही दिल में 

टूट रहा था, 

कुछ तो था !


ना थी 

खबर मुझे 

ना चल रहा था 

कुछ पता, 


मन ही मन में 

खटक रहा था, 

कुछ तो था 

जो छूट रहा था 

कुछ तो था !


एक आग लगी थी 

सीने में, 

ना था सुकून जीने में, 

बनके बीज मुझमें वो 

पनप रहा था,

 

कुछ तो था 

जो छूट रहा था 

कुछ तो था !


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