कुछ कमी सी खली।
कुछ कमी सी खली।
जाने किस देश को तुम हो चली गई।
मन मेरा ढूंढता है बस तुम्हें हर घड़ी।।1।।
वक्त कटता गया सब सही हो गया।
बस मेरी रूह को कुछ खुशी ना मिली।।2।।
कोशिशें तो बहुत हमने की हैं मगर।
सब मिला है मुझे एक तू ही ना मिली।।3।।
सब ही हासिल किया बस तुझे छोड़कर।
इसलिए हर घड़ी कुछ कमी सी खली।।4।।
खो गया मैं वहां जिंदगी थी जहां।
तुझको एहसास है क्या तेरी दिल्लगी।5।।
मानो ऐसा लगा वक्त सा थम गया।
भीड़ में जब मुझे तेरी सूरत देखी।।6।।
देखता हूं जहां कुछ फिकर से वहां।
जिंदगी थी मुझे जिस जगह पर मिली।।7।।
इस तरह ख्वाबों का सिलसिला ही गया।
मुझको भ्रम सा हुआ आंख जब भी खुली।।8।।
जिस जगह पर गया वह वजह भी गई।
जिस वजह से मुझे कभी तुम थी मिली।।9।।