STORYMIRROR

Sweta Parekh

Drama

3  

Sweta Parekh

Drama

कुछ अरमान ऐसे भी

कुछ अरमान ऐसे भी

1 min
290

आज फिर दिल ने कहा की कुछ कहा जाये,

आज फिर सांसों ने कहा चलो सुना जाये।

दिल और सांसों के बीच की ये गुफ्तगू में

बरसों के दबे अरमानों ने कहा चलो अब उड़ा जाये।


और कितना सुनोगे औरों को और मुझसे

यूँ ही इत्तफाक रखोगे, कभी आओ मैं भी सुनाऊँ कि

कितने अरमानों को मैंने भी मारा है।


अरमानों की उड़ान से जयादा उसके टूटने

मुझसे इत्तला किया गया,

आओ कभी मैं भी सुनाऊँ उन अरमानों की चीख। 


और ना चढ़ा इन अरमानों की बलि,

तू चल और बस चल कारवाँ अपने आप बनेगा,

तेरे सिर पे सजा ये मेहनत का ताज अपने आप जंचेगा।


आ फिर ये जग को दिखाए पार्वती से चंडी का सिलसिला,

आज फिर सुनाये सांसों को वो अरमानों का कहा। 

चल पड़े है तो पहुंचेंगे भी और पहुंच कर चुनर लहरायेंगे भी,

उस चुनर से और कहीं अरमानों के पंख फैलायेंगे भी। 


आज फिर दिल ने कहा की कुछ कहा जाये,

आज फिर सांसों ने कहा चलो फिर कुछ लिखा जाये। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama