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Sonam Kewat

Tragedy

4  

Sonam Kewat

Tragedy

कुछ अच्छा नहीं लगता

कुछ अच्छा नहीं लगता

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जी तो रही हूं मैं 

यह सब जानते हैं 

पर सच कहूं जिंदगी में 

अब वो बात नहीं रही 

तुम्हारे होने का एहसास

ही कुछ खास था

जो जिंदगी संवार जाता था 

हमारा बहस करना और 

साथ में खाकर सो जाना 

दूसरे दिन हमेशा जैसे ही

रूठे यार को मनाना 

वैसे इन सब बातों का कुछ 

अलग ही मजा होता था 

अब तुम इतनी दूर हों कि

वापसी की उम्मीद भी नहीं 

बस यादों का समंदर है 

ना तुम्हें भूलना चाहती हूं 

और ना हीं भूल सकती हूं 

घरवालों को भी दुख है पर 

एक दूसरे से आंसू छुपाते हैं 

तुम तो चले गए पर किरदार 

तो यहीं पर छूट गया है 

किसी ने बेटा खोया तो 

किसी ने भाई और मैंने तो

अपना जीवनसाथी खोया हैं

तुम कहते थे मैं बहादुर हूं ना

इसलिए बड़ी बहादुरी से 

यह परिवार संभाल रही हूं 

पर सच कहूं तुम्हारे बिना 

कुछ भी अच्छा नहीं लगता।


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