कथा नारी की
कथा नारी की
नारी रोशनी है समाज को,
नारी वरदान है जग को,
नारी शक्ति का स्वरुप है,
नारी ममता का रूप है |
नारी से होते गौरवान्वित, दो-दो कुल हैं,
किसी भी कुल का हो बाग
एक नारी ही उसका सबसे सुगन्धित फूल है,
पर खिलने को उसको भी,
जरुरी बचपन की छाँव और धूप है |
पर कैसे खिलेगी वो ? कैसे आगे बढ़ेगी ?
कैसे दिखाएगी रोशनी जग को !
जब यह समाज, बचपन दे उसको ऐसा,
भर जाये जो, पूरे जीवन में उसके अँधेरा | |
