STORYMIRROR

अमित प्रेमशंकर

Action

2  

अमित प्रेमशंकर

Action

कसम है भारत माता की

कसम है भारत माता की

1 min
312

खो बैठी इंसानियत अपनी

आज के इंसानों ने।

 धरती की छाती फाड़

फसल न उगाना छोड़ा किसानों ने।


छोड़े हिन्दू धर्म अपना

छोड़ा वजूद मुसलमानों ने।

देश की इज्जत बेच बेच

खुद नग्न हुए बेइमानों ने।


भूले नहीं वो जात पात

न भूले कुरान पुराणों को।

करती है नमन अमित की कलम

देश के वीर जवानों को।


नहीं चाहते धन दौलत

बस इज्ज़त की दरकार है।

सुन ले रे तू देश के रावण

मोदी रामावतार हैं।


लिखा चार पंक्ति ए मैंने

देन है भाग्य विधाता की।

दुश्मन को मजा चखाएंगे हम

कसम है भारत माता की।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action