कृष्ण वो है...
कृष्ण वो है...
जिन्हें प्यार के बदले तिरस्कार मिला,
जिन्होंने खुद के आंसुओं से दुनिया की प्यास बुझाई,
धर्म संस्थापनार्थ अपनों का ही अंत देखा,
फिर भी सब ने मुस्कुराते भगवान को शांत देखा,
दुर्योधन जब हरी को बांधने चला तो आंखें उनकी लाल थी,
शायद क्रोध में भस्म होगी सृष्टी इसी की वो मिसाल थी,
सब कुछ त्याग कर भी कभी उसका ढिंढोरा नहीं पिटा,
मृत्यु को जितकर इन्होंने शायद किस्मत को ही लुटा,
ना जाने क्यूँ आजकल तुम्हारी याद बहुत आती हैं
अपनों का रवैय्या देख महाभारत शायद दोहराती हैं!
कोई कुछ भी कह दे तो भी तुम मुस्कुरा कैसे सकते हो?
क्या तुम्हारी ये अदा फुरसत में हमें भी सिखा सकते हो?
