रहनुमा
रहनुमा


यूं ही कब तक रोता रहेगा तू अपने नसीब पर
छोड़ व्यर्थ चिंता हौसला अपने दिमाग में भर
आज से तेरे हर नक्शे कदम जीत के होंगे
कौन रोकेगा तुम्हें जब रहनुमा कृष्ण होंगे....
गिन मत कितने काँटे बिछाएँ तेरी राह पर
ख़्वाब में देखा हर लक्ष्य तू आज हासिल कर
दुनियावालों को जीतने वाले सिकंदर तुम होंगे
कौन रोकेगा तुम्हें जब रहनुमा चंद्रमा होंगे....
चलना होगा निडर बन तुम्हें धधकती आग पर
ज्वालामुखी को भी फक्र होगा तेरी अंगार पर
अभी से हर दिमाग पर बस तेरे कदम होंगे
कौन रोकेगा तुम्हें जब रहनुमा सूरज होंगे....