सूरज निकलेगा...
सूरज निकलेगा...
काले बादलो को चीरकर सूरज कल फिर से निकलेगा
थमा जो जमाने का कर्मचक्र कल फिर से दौड़ने लगेगा
दील में तेरे एक नई उम्मीद जगेगी
दुनिया जीतने की तेरी ख्वाहिश होगी
मृतवत सपनों में फिर से जान आएगी
उत्साही कर्मों से ही नई पहचान बनेगी
बुरा वक्त बीत गया तेरा अब तू नया एक दौर लिखेगा
काले बादलों को चीरकर सूरज कल फिर से निकलेगा..
कर्म करने से न लड़खड़ाए तेरे कदम
बीच में न रुक जाये जीत का ये क्रम
अधूरी जंग पूरी जीत बनकर रंग लायेगी
देख फिर दुनिया तेरे जीत के गीत गायेगी
कर दिखा कुछ ऐसा जो दुश्मन भी तेरा जयकार करेगा
काले बादलो को चीरकर सूरज कल फिर से निकलेगा..
