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Rajeshwar Mandal

Tragedy Others

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Rajeshwar Mandal

Tragedy Others

कोरोना संकट

कोरोना संकट

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 कोरोना संकट वैश्विक महामारी 

 पता नहीं कब किसकी बारी 

 फूंक फूंक कर सब रखते पाँव 

 फिर भी डगमग करती नाव

 राही की कौन फिक्र करे 

 मांझी खुद ही हैं डरे हुए 

 शनैः शनैः जो तैर रहे 

 सुरक्षित तीरे हैं पहुँच रहे 

 कोरोना संकट वैश्विक महामारी 

 पता नहीं कब किसकी बारी ।


 डब्लू एच ओ की नई फरमान 

 हवा से भी हैं संक्रमण फैल रहे 

 दवा दुआ का अब तक पता नहीं 

 मास्क सैेनिटाइजर भी हैं दम तोड़ रहे 

 कब तक कैद रहे घरों में 

 काम धंधा सब चौपट हुआ 

 भुखमरी की ओर अग्रसर दुनिया 

 अपने अपनों से भी हैं मुँह मोड़ रहे 

 कोरोना संकट वैश्विक महामारी 

 पता नहीं कब किसकी बारी ।।


 हे विधाता रहम करो अब 

 और कितनी परीक्षा लोगे तुम 

 पश्चता रहे हैं नर अपने कृत्यों पर 

 फिर दोबारा ग़लती होगी न ऐसी 

 बख्स भी दो अब अपने ही निर्मित को

 भूल चुक जो हमसे हुई 

 कोरोना संकट वैश्विक महामारी 

 पता नहीं कब किसकी बारी ।।।


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