कोरोना की कड़ाई मैं फसा मासूम
कोरोना की कड़ाई मैं फसा मासूम
ओ पिया हरजाई क्यों तुम्हें मेरी याद नहीं आई।
कोरोना की बढ़ गई है कड़ाई।
भूल गए हैं हम प्यार की a, b, c, d पढ़ाई
एक दूसरे से मिलना हुआ दुश्वार।
कैसे भूल जाएं हम अपने दिल से किए हुए प्यार।
बांहों में बाहें डाल कर करते थे मीठी बातें।
छूट गए वह सब मीठे मुलाकातें।
अब हमें तो सिर्फ यादें हैं तुम्हारी सताते।
दिल बेचारा खामोश है ना मिल पाने का अफसोस है।
एक झलक पाने को दिल बेचारा अफसोस है।
अब मिलना हो गया है मुश्किल
बस इसी बात का अफसोस है।
सांस सांस में ठहरी नहीं है।
दिल की आरजू अभी पूरी नहीं है।
जिंदगी मौत की चौखट पर खड़ी है।
आंखों में आंसुओं की लगी झड़ी है।
कोरोना की क्यों बढ़ गई इतनी कड़ाई।
रह गए हम दूर छूट गई प्यार की पढ़ाई।