अनमोल धागे
अनमोल धागे
तागे तागे से धागा बनता है दिल दिल से मिलकर भाई-बहन का अनोखा रिश्ता बनता है।
यूं तो धागा कच्चा है मगर दिल से बांधी है अगर सांसों के टूटने से पहले रिश्ता टूटना नामुमकिन है।
यूं तो किससे है रिश्तों के लाखों, मगर जिसे मिला वह कदर न जाने, जिसे ना मिला वह सिर्फ इंतहा को पहचाने।
उन बहनों से पूछो राखी की कीमत तकदीर ने जिन्हें मौका ना दिया भाई की कलाई पर राखी बांधने का।
भाई तो दिए चुन चुन कर मगर साथ चलने का वक्त ना दिया।
रिश्ते बनाए कई भागों को मिलाकर पर निभाने का कभी वक्त ना दिया।
उन बहनों से जानो राखी की कीमत जिन्होंने बेताबी से अपने भाइयों की हाथों में राखी बांधने का इंतजार किया है।
जग मैं कुछ बहने ऐसी भी है जिन्होंने सिर्फ भाइयों से प्यार किया है पैसों से नहीं।
वो बहन क्या कहे अपनी टूटे दिल की आह जिसके भाई तो है पर दूर हैं।
उन तक पहुंचने की राह बचपन से सावन के दर पर खड़ी है
तकदीर का खेल भी अलग ही निराला भाई बहन को तिनको में बैठ डाला।