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Sushree sangita Swain

Fantasy

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Sushree sangita Swain

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कोरोना का सबक

कोरोना का सबक

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समय ये कैसा दिन दिखलाया 

भूली भटकी इंसानी नस्ल को 

जीने का  सलीखा सिखलाया


आज गंगा शुद्ध, 

नर्मदा मा आस्वस्थ, 

ओजोन लेयर ने राहत की सांस ली

कोरोना ने परिबार को एक कराया, 


भेद भाब को मिटाया, 

सर के उपर छत, 

दो वक़्त की रोटी, 

यही है जीबन का मुलाधार 

बाकी सब दिखावा, आडम्बर निराधार


प्रकृति से खेलोगे तो पाप का घड़ा फूटेगा 

उसका रोष एक दिन क़हर बनकर टूटेगा 

आज बिज्ञान, चिकिस्ता ज्ञान 

लद रहा है  अदृश्य शत्रु के साथ 


मंगल पर जाने वालों 

हार अपनी करलो स्वीकार 

भ्रम से जागो, ख़तम करो अपनी 


सर्वशक्तिमान होने का गुरुर 

कोई तो है जिसके आगे हो तुम सब  

बेबस, मज़बूर।


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