कोई कह दे तुफाँ से
कोई कह दे तुफाँ से
कोई कह दो आज तूफांँ से
हमने कश्ती को लहरों में उतारा है,
चाहे तो तू भी
जोरआजमाइश कर ले।
हम सीना ताने खड़े हैं
कोई दुश्मन उठाये खंजर,
और पूरी अपनी
ख्वाहिश कर ले।
बहुत हो गयी प्रेमधुन अब
नज्म ए इंकलाब गाना है,
जाने अनजाने
कोई फरमाइश कर ले।