तू पानी सा बहता चल
तू पानी सा बहता चल
तू पानी सा बहता चल
अपनी राह बनाता चल
राह में आये चट्टान तो
चकनाचूर करता चल।
रंग तू मिट्टी के रंग में
मिले कोई तो ले संग में
मन में ना रहे मैल कोई
प्यार के रंग में रंगता चल
तू पानी सा बहता चल।
तू लहरों की ऊथलपुथल
तू बन झरनों की कलकल
जीवन के संगीत में ढल तू
अपनी धुन गुनगुनाता चल
तू पानी सा बहता चल।
जीवन तेरा जैसे दर्पण
कर दे सागर को तू अर्पण
मोह माया बंधन छोड़ के
गाथा त्याग की सुनाता चल
तू पानी सा बहता चल।।