Dr.Padmini Kumar
Drama
अंधे होते धन के पीछे
दौड़ता मानव।
अंत में अनजान से
पास पहुंचता मरणदेव।
सोना
रथोत्सव
धूल
शिक्षा
अमरत्व
आरंभ और अंत
कुछ नहीं करती
पाँच रुपये का...
एक नहीं,अनेक
आंखों में नीर भी कह रहा ये शहर इतना झूठा क्यों है ? आंखों में नीर भी कह रहा ये शहर इतना झूठा क्यों है ?
कि चले जाओ वही जहाँ ये रूह-ए-एहसास, अब रहती नहीं। कि चले जाओ वही जहाँ ये रूह-ए-एहसास, अब रहती नहीं।
न नारी अबला होती है और न ही औरत लाचार होती है। न नारी अबला होती है और न ही औरत लाचार होती है।
दो राहें थी, इक घर को इक सपनों की ओर चली...। दो राहें थी, इक घर को इक सपनों की ओर चली...।
पापा तुम्हें कह नहीं पाती, हर शुक्रिया से ज्यादा तुम्हें प्यार करती हूँ। पापा तुम्हें कह नहीं पाती, हर शुक्रिया से ज्यादा तुम्हें प्यार करती हूँ।
किसी को प्रेम लिप्त करा दे, और परलोक भिजवा देता पैसा। किसी को प्रेम लिप्त करा दे, और परलोक भिजवा देता पैसा।
महाकाली की क्षुधा अब भी पापियों के रक्त हेतु अशांत है। महाकाली की क्षुधा अब भी पापियों के रक्त हेतु अशांत है।
इस बार सबको अनदेखा कर उनका हाथ थामना जिनको बस अपनों की तलाश है इस बार सबको अनदेखा कर उनका हाथ थामना जिनको बस अपनों की तलाश है
या खुदगर्ज बनके किया खुद से ही प्यार क्या मैं वहां गलत थी ? या खुदगर्ज बनके किया खुद से ही प्यार क्या मैं वहां गलत थी ?
सुबह की खिली हुई धूप का करो,स्वागत इस धूप में मिली हुई है,खुदा की मोहब्बत। सुबह की खिली हुई धूप का करो,स्वागत इस धूप में मिली हुई है,खुदा की मोहब्बत।
आज लहू से मन की गाँठें, धीरे-से खोल रहा हूँ।। आज लहू से मन की गाँठें, धीरे-से खोल रहा हूँ।।
ख़ुशी तो जी बस इतनी है जब भी सुकून की तलाश में निकलें हैं, किसी ने आज तक धर्म नहीं पूछा मज़ारों में... ख़ुशी तो जी बस इतनी है जब भी सुकून की तलाश में निकलें हैं, किसी ने आज तक धर्म ...
कभी अपने घर में और कभी बेटे बहू के घर में। कभी अपने घर में और कभी बेटे बहू के घर में।
मैं पिरोती जाऊं मोती आस के ना जाने क्यूं धागा फिसल जाता है, मैं पिरोती जाऊं मोती आस के ना जाने क्यूं धागा फिसल जाता है,
बच्चों को अच्छा इन्सान बनाऐंगे। हर परिस्थिति का सामना करना सिखायेंगे। बच्चों को अच्छा इन्सान बनाऐंगे। हर परिस्थिति का सामना करना सिखायेंगे।
मंजिल नाम अपने इस बार कर चल उठ प्रण कर ना क्षण एक बेकार कर...! मंजिल नाम अपने इस बार कर चल उठ प्रण कर ना क्षण एक बेकार कर...!
कभी समय मिले तो, घड़ी दो घड़ी, बेटा, मिलने आते रहना। कभी समय मिले तो, घड़ी दो घड़ी, बेटा, मिलने आते रहना।
आपके दोस्त आपसे मिलने के पहले मिनट में आपको बेहतर तरीके से जान पाएंगे, आपके दोस्त आपसे मिलने के पहले मिनट में आपको बेहतर तरीके से जान पाएंगे,
बड़ी भाती थी मुझे माँ और बच्चों की गतिविधियां जैसे मेरी जुड़ चुकी थी उनसे रिश्तेदारियां बड़ी भाती थी मुझे माँ और बच्चों की गतिविधियां जैसे मेरी जुड़ चुकी थी उनसे रिश्त...
मेरे मन के युद्ध मुझे तेरी पूजा ना करने देंगे। मेरे मन के युद्ध मुझे तेरी पूजा ना करने देंगे।