कलयुग
कलयुग
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अंधे होते धन के पीछे
दौड़ता मानव।
अंत में अनजान से
पास पहुंचता मरणदेव।
अंधे होते धन के पीछे
दौड़ता मानव।
अंत में अनजान से
पास पहुंचता मरणदेव।