कल्पना
कल्पना
कल्पना बस कल्पना ना हो तो बस अच्छा हो,
कल्पना कुछ कल एक आज हो तो अच्छा हो।
कल्पना काल्पनिक ना हो तो फिर कल्पना की क्या कल्पना,
कल्पना, कल्पना जैसी नहीं फिर कल्पना की ही कल्पना।
बिना परों के पंछी उड़े एक ऐसी थी कल्पना,
फिर कमल मिट्टी में खिले ऐसी थी कल्पना।
ना दिन हो ना रात हो जुगनू की बरसात हो,
चंचल हवा में जिंदगी आजाद हो एक ऐसी थी कल्पना।
धुँए में कोई नाम लिखूँ यह भी कोई कल्पना
कल्पना, कल्पना जैसी नहीं फिर कल्पना की ही कल्पना।
जवाँ जिस्म की चाहत मोहब्बत होती है एक कल्पना
हकीकत में मोहब्बत तो बस मोहब्बत होती है एक कल्पना।
कल्पना, कल्पना जैसी नहीं फिर कल्पना की ही कल्पना
कल्पना काल्पनिक ना हो तो फिर कल्पना की क्या कल्पना।।
