नींद
नींद
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नींद का इतज़ार और इतज़ाम नहीं,
नींबू का पेड़ और कोई गुलाब नहीं
मखमल की उम्मीद और छांव नहीं
दो गज जमींं और कोरा आसमां नहीं
समंदर भी शान्त और काला अफ़ताब
कोई रात नहीं और अंधेरा भी साथ नहीं
परवेज़ का ठिकाना और ग़मज़दा हवाएं
झूठी नींद और पर्दा में औराक़-ए-ख्वाब नहीं
ल्फ़ज़ में मसरूफ़ और अफ़ासना न बने
अक्स-हाथ और नीलामी अश्क कि समतल नहीं
मगर चाहत चादर और मिलें क़फ़न भी नहीं
दौलत-ए-इयनायत और हौसले में मिट्टी नहीं
क़यामत-ए-क़ब्रिस्तान कमसिन और क़ब्ज़ा नहीं
मिरी रूह चारोँ ओर और मिरी क़ब्र है मिरा ज़िस्म नहीं
