समंदर भी शान्त और काला अफ़ताब कोई रात नहीं और अंधेरा भी साथ नहीं समंदर भी शान्त और काला अफ़ताब कोई रात नहीं और अंधेरा भी साथ नहीं
खटखटाया ना करो दिलों के दरवाज़े दर्द को छलकने नहीं देते है हम खटखटाया ना करो दिलों के दरवाज़े दर्द को छलकने नहीं देते है हम
वो नहीं जानते थे की उनकी खुले आम दिन दहाड़े नीलामी होगी वो नहीं जानते थे की उनकी खुले आम दिन दहाड़े नीलामी होगी