जज्बात
जज्बात

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बेमिसाल शौक के कद्र दान है हम
हर हालात में खुशगवारी का
मौसम है हम
लफ्ज़ हो जाये खामोश पर
लबों पर हल्की सी मुस्कान
बिखेरते है हम
जज्बातों को कहने की जरूरत नहीं
बस यूं ही समझने के काबिल हैं हम
खटखटाया ना करो दिलों के दरवाज़े
दर्द को छलकने नहीं देते है हम
उधड़े हुए ग़म को फेका न करो यूँही
रफू करने में माहिर हैं हम
नीलामी के बाजार में वही आगे रहा
कभी जिसे आफताब लगते थे हम