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Antariksha Saha

Drama

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Antariksha Saha

Drama

कलम

कलम

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कलम और पेन से अभी

नाता कब का छूट चुका है

अभी ज़माना ईमेल और

मोबाइल का है

छोटे उन पन्नों में अपनी

भावनाएं सारी लिखने की

नौबत अभी नहीं आती

अभी तेरे ख़तों में तेरी खुशबु

ढूंढने का अहसास नहीं रहा

बहुत कुछ खो दिया है

अभी के ज़माने ने

या पाया है बहुत कुछ।


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