कलम या तलवार।
कलम या तलवार।
कलम ही अच्छी है क्या करनी है तलवार?
हम साहित्यकार करते कलम से ही वार।
कलम का जादू ऐसा बिखरता।
हृदय परिवर्तन भी तुरंत ही होता।
कुछ कहानियां मन को छू जाती।
मन की उलझन को यूं ही सुलझाती।
कुछ पत्र ऐसे होते थे
जिनको पढ़कर नफरत भी थी प्यार में ही बदल जाती।
कलम की ताकत को कम ना समझना।
आतताइयों ने जानी थी हमारी कलम की ताकत।
इसलिए ही तो पुस्तकालयों पर भी किया था वार।
देश की आजादी में भी कलम का बड़ा हाथ था।
साहित्यकारों ने भी अपनी तरह से ही दिया साथ था।
बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा लिखित वंदे मातरम ने ही
भरा भारतवासियों में देश प्रेम का भाव था।
