कलम बेअदब
कलम बेअदब
आज मेरे कलम बेअदब हो गया,
सुनता नहीं मेरा गज़ब हो गया।
राम को लिख, छोड़ रहीम को बोला,
मगर बेख़ौफ़ "वन्दे भारत" लिख गया।।
मैंने बोला लिखो प्रगति की गाथा,
तरक्की तहज़ीब भाईचारे की कथा।
आंखें तर्रार कर मेरी ओर देखा,
कौमी फसादों का हिसाब लिख गया।।
मैंने बोला लिखो शिक्षा दीक्षा की बात,
शिक्षित युवा के कला कौशल की बात।
प्रशिक्षण संस्थानों के बाजारों में लूटते,
टूटते उम्मीदों के दास्तान लिख गया।।
मैंने बोला लिख आध्यात्म की बात,
सत् असत् आत्मा परमात्मा की बात।
नोक के बल पर खड़ा बड़बड़ाया यूँ,
बलात्कारियों का तादाद लिख गया।।
अब तो लिख भाई नारीशक्ति की बात,
जल थल नभ में सैन्यशक्ति की बात।
लिखा कुछ दिखावे के लिए लेकिन,
हाथरस मणिपुए और दिल्ली लिख गया।।
बोला जवानों का छोड़ किसानों का लिख,
फसल बीमा बोनस खरीदमूल्यों का लिख।
खेत बंजर पड़े कामगारों का अकाल से
फोकट रेवड़ी की औकात लिख गया।।
अब तो मैं उसे बोलना ही छोड़ दिया
रोकना छोड़ दिया और टोकना छोड़ दिया
जो भी लिखता उसके मजे ले रहा हूँ
लोग भी कहते अरे वाह, क्या लिख गया!