तकनीक के इस युग में
तकनीक के इस युग में
आधुनिकता की होड़ में हर इंसान बना तकनीक का हिस्सा,
इसके हाथों कठपुतली बनकर बदल रहा जीवन का किस्सा,
तकनीक बन गया आधार आज हम सबकी दुनियादारी में,
भावनाएं हो रही धुआँ हर इंसान सिमट गया चारदीवारी में,
जीवन आसान बना ज़रूर पर धुंधली हो रही है मानवीयता,
खो रही है संवेदनाएं संसार की बढ़ती जा रही है विक्षिप्तता,
तकनीक के इस युग में हर इंसान खुद में सिमटकर रह गया,
रिश्तों की अहमियत भूल फेसबुक, व्हाट्सएप में समा गया,
अपनों को छोड़कर अनजाने रिश्तों में इंसा हो गया मशगूल,
जिंदगी तो कट रही है सुविधाओं में पर जीना गया है भूल,
तकनीक से जुड़ गया है संसार वास्तविकता हो गई लाचार,
ट्विटर पर निकालते हैं दुश्मनी शब्दों को बनाकर हथियार,
व्हाट्सएप पर पूछते खैरियत फेसबुक पर ढूंढते दोस्त यार,
तकनीक के सागर में समाकर कितना सिमट गया ये संसार,
बच्चे, बूढ़े, जवान सभी रंग चुके हैं आज तकनीक के रंग में,
चाह कर भी निकलना है मुश्किल ढल चुके हैं इसके ढंग में,
हर चीज तकनीक पर है आधारित हाईटेक हो गया जमाना,
इस तकनीकी युग में जीते-जीते इंसान भूल गया मुस्कुराना,
मोबाइल, लैपटॉप में ही सिमटकर रह गई बच्चों की दुनिया,
मशीन बना इंसान भूल गया प्रकृति के साथ समय बिताना,
प्रकृति और विज्ञान मानव जाति के लिए ये दोनों है वरदान,
विज्ञान की देन है तकनीकी जो है हर समस्या का समाधान,
इसमें संदेह नहीं तकनीक ने हमें ऊंचाइयों तक पहुंचाया है,
और इसके अधिक उपयोग ने इंसा को आलस में डुबाया है,
तकनीक वरदान है या अभिशाप ये हम पर निर्भर करता है,
सदुपयोग करना सीख लें तो तकनीक अहित नहीं करता है।