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Nivish kumar Singh

Abstract

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Nivish kumar Singh

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हमकों गर्व हैं भारत का होन मे

हमकों गर्व हैं भारत का होन मे

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अपना भारत जिससे सबकों हैं प्यार

उसकी भुजा हैं अपना बिहार

 हम हैं नहीं रंगदार

बस कुछ एक के खातिर

कर दियें गए हैं बदनाम पुरा बिहार

वरना इतिहास देखिये हमरा,, जन्मे यहाँ कौन-कौन 


 जनक दुलारी माता सीता

पंचशील सिद्धांत के दाता महावीर

 गंगा माई को जिसनें सौप दिया काट अपना हाथ

 बाबू वीर कुंवर सिंह

आप ही कहिये विश्व को शून्य दिया किसने

सम्राट अशोक जो कभी युद्ध न हारे

देश के प्रथम राष्ट्रपति जो इसी बिहार से बने


हुआ नहीं विधवा अब भी बिहार

रहते हैं यहाँ गणित के आनंद कुमार

“पापा कहते हैं बेटा बड़ा नाम करेगा”

उसे गाने वाले उदित नारायण

सबको हँसाने वाले संजय मिश्रा

सभी के प्यारे पंकज त्रिपाठी


यहाँ का बेटा मौज से बनता हैं फौज

काहें कि उसकों प्यारा हैं तिरंगा ध्वज

नाम न लेंगे अब हम ज्यादा

 काहे की बात हों जाएगा बहुते लंबा

सपना अब तो बस हैं इतना 

बिहार को बनना हैं सोने का शेर 

जो भारत के दुश्मन को दें खधेर,


परिवार से दूर मोटरी बाँधे

 जब हम आपके शहर पहुँचते हैं

लोग कहतें हैं देहाती गवार

फिर भी नहीं लगता बुरा

हमकों अंदर से

काहें की पता हैं हमकों आपके दौड़ते हुए शहर में 


किसी को साँस लेने का फुर्सत नहीं हैं

और हम हैं कि आदत से लाचार

लेकर निकलते घर से आम का अचार

सबसे प्यार करतें चलनें का संस्कार

अंजान राही को भी टोक के रोक लेते हैं

हाल,खबर, गाँव कि दो प्यारी बातें बतिया लेते हैं। 


 सच सच बताना दोस्त क्या हम मिलके

छठ का ठेकुआ, चना का सतुआ नहीं पितें हैं

चलतें नहीं क्या एक साथ कोचिंग

खरीदने कम दाम का देखके सुंदर


फिल्म के लिए लेने टिकट

रात भोर हर वक़्त साथ बैठ 

क्या हम चाय नहीं सुरुकते हैं

NCERT का एक नोटस खरीद

क्या दोनों काम नहीं सलत लेते हैं

असफल होनें पर साथ में रोना

सफलता का सपना साथ में देखना।। 


बहुत प्यार हैं हमकों अपने बिहार से

लेकिन गर्व हैं भारत का होनें में

मिलके आज़ादी का पचहत्तरवा

साल मनाइये

जैसे मना 15 अगस्त के 


पहली आज़ादी के रात को था

न कोई गोरा न काला था

न कोई हिन्दू न मुसलमान था

मिलके अपना पुरा राज्य 

केवल और केवल भरत का भारत, हिंदुस्तान था।। 

“जय हों” हम फिर मिलेंगे, मिलते रहेंगे।


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