बूँद बूँद बरसे बादल
बूँद बूँद बरसे बादल
शाम सवेरा बूँद बूँद बरसे बादल
मन फिर भी बूँद बूँद को तरसे
फेर मुख ऊपर हरियाली
आशा भरे गीत गान झूमे
मोड़ मोड़ रुख शीतल पवन
मन मोहित सबों का करता।।
उड़ता पंछी निहार आकाश गगन
दौड़े लाने बच्चों के भोजन
तेज़ धूप से मिट्टी का गर्म कलेजा
पाए बूँदों से शीतल प्यार,
लाल पत्तों से लदी डाल
पाकर बूँदें हो जाए खुशहाल।।
गाय बछड़ा बच्चा बूढ़ा
भला किसे न बारिश बूँद सुहाता
देख बादल काले काले
किसान करता अपने हल से बातें
चल साथी चले फसल उगाने,
कहीं आबाद कही बर्बाद
फिर भी हैं सबको बूँद बूँद का प्यास।।