STORYMIRROR

Nivish kumar Singh

Others

3  

Nivish kumar Singh

Others

बूँद बूँद बरसे बादल

बूँद बूँद बरसे बादल

1 min
216

शाम सवेरा बूँद बूँद बरसे बादल 

मन  फिर भी बूँद बूँद को तरसे

फेर मुख ऊपर हरियाली

आशा भरे गीत गान झूमे 

मोड़ मोड़ रुख शीतल पवन 

मन मोहित सबों का करता।। 


उड़ता पंछी निहार आकाश गगन

दौड़े लाने बच्चों के भोजन

तेज़ धूप से मिट्टी का गर्म कलेजा

पाए बूँदों से शीतल प्यार, 

लाल पत्तों से लदी डाल

पाकर बूँदें हो जाए खुशहाल।। 


गाय बछड़ा बच्चा बूढ़ा

भला किसे न बारिश बूँद सुहाता

देख बादल काले काले

किसान करता अपने हल से बातें

चल साथी चले फसल उगाने, 

कहीं आबाद कही बर्बाद

फिर भी हैं सबको बूँद बूँद का प्यास।। 

          


Rate this content
Log in