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Amol Nanekar

Classics

3  

Amol Nanekar

Classics

कल्चर

कल्चर

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कल्चर मेरा कहाँ खराब है

तेरी सोच ही तेरी शराब है

मैं सिर्फ एक organisation नहीं 

कितनों को देखा ख्वाब हैं।


जब बिगड़ रहे थे हालात

तब तू छुप रहा

तेरी छुपी ही तेरा जवाब हैं

आज तू मुझ पर सवाल उठाता है।


पर यह कल्चर नहीं

तेरी आदत का हिसाब है

Organisation किसी की

मनमानी का नहीं

नियम और कानून की किताब है।


मैंने ऐसा वक्त भी देखा है

जहाँ मजदूर भी नवाब है

मैंने तुझे अपना अंश मान लिया था 

पर तुने सवाल नहीं, फेंका तेजाब है।


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