बदलाव
बदलाव
हुआ ख़त्म यारो, ये भी फ़साना
चलो ढूंढ लें अब नया ही ठिकाना
जो बरतन बचे हैं, उन्हें तुम समेटो
कहीं और जाके हे चुल्हा जलाना
सुहाने ये मंज़र, ये रिमझिम सदाएं
हे ख्वाबोंकी बस्ती, मेरा आशियाना
ये आंखो में जलते हैं जुगनु के जैसे
संभलकर नज़ारों से नजरें मिलाना
परिंदे को दरकार बस चार दाने
ये उड़ना उड़ाना, दो रोटी कमाना
खाना, खजाना, सब तेरा आबोदाना
जो धड़कन रुकी तो रुकेगा जमाना
सांसों की तस्बीह का हर एक दाना
हे जिक्रे इलाही का कर्ज़ा चुकाना।
