बे-सबब
बे-सबब
दायरा तोड़ने वाले ज़हन, आम नहीं होते
एहसास के रिश्तों के, कोई नाम नहीं होते
हौसलों को ज़िंदा रखना, बड़ा जरूरी है
सिर्फ उम्मीद पर तो, कोई काम नहीं होते
कोशिशें तुम लाख करो, हर रोज़ मगर
बदगुमां दावों पर, कोई इकराम नहीं होते
साथ पैसे के जरूरी है कुछ, नेकी का कमाना
सीधे अमल के उलटे, कोई अंजाम नहीं होते
उनकी गली से बावा, बचकर गुज़र जो पाते
इतने सदीद यादों के, कोहराम नहीं होते।
