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Sachin Gupta

Inspirational

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Sachin Gupta

Inspirational

माँ

माँ

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उन रास्तों पर चल लेती है वो 

पथ माँगता है लहू 

बिखेरे रहते है कंकड़ 

खड़ी रहती है काँटों की फौज 

फिर भी उठा गोद में लाल को 

चल देती है वो 

ऐसी होती है माँ |

 

आँखों में लाख भरे हो अश्क 

चाहे भूखी पेट हो वो 

फिर भी निवाले से कहती है 

भूखा है मेरा लाल 

पहले ,भर दे तू पेट 

भूखा रहे न मेरा लाल 

ऐसी होती है माँ |

 

छोड़ देता है पिता झड़प कर हाथ उसका

मिलती रहती लाख ठोकरें 

फिर भी धूप – छाँव में चल नंगे पाँव 

खट लेती है वो , 

तन में लाल के बल डालने को 

ऐसी होती है माँ।

 

कभी देखना हो तो 

जा कर देख लेना अस्पतालों में 

कितना दर्द सहती है माँ 

कभी देखना हो तो 

जा कर देख लेना चौराहों पर 

आज भी सुनसान सड़कों पर 

बिलखती मिलती है माँ।

 

                               मेरी क्या औकात है 

                                जो लिख दूँ माँ पर कोई पंक्तियाँ 

                               पर मुझको मालूम है बस इतना ही

                               सच में भगवान से बढ़कर होती है माँ।

 

                               


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