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Bawa बैरागी

Abstract

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Bawa बैरागी

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नजर ए आतिश

नजर ए आतिश

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तारीकीयों में जलके, रोशन हुई शमा

ना जज़्ब कम हुआ, ना अज़्म ही

थमा लाये थे मांगकर जो, हयात 

हम उधार तेरी चाह में युं आह में,

गुजरी जमा जमाये जो कर्ज़ है,

बड़ा मर्ज़ है, बेजा खर्च है ये नही मरता,

रोज तुही मरे है कमा कमावक़्त की धुन पर,

पिघल गया हरेक साज़अब सुर में दम रहा,

ना शोर में वो दमदमा हिम्मत है अगर बावा,

तो बैठ जा लगन सेहर ख्वाहिश पे अंगार लगा फिर धूनी रमा।


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