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Bawa बैरागी

Abstract Romance Classics

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Bawa बैरागी

Abstract Romance Classics

ख्वाहिश

ख्वाहिश

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बहारो, चमन, चाँद, तारों सितारों

थके होतो कुछ पल यहाँभी गुजारो 


हे आंगन में खामोश पंछी मेरे एक 

जरा नर्म लहजे में उसको पुकारो 


दुआ भी तो दरकार होती हे सबकी 

दवाओं के दम पे ना जीवन गुजारो


ये माहताबी आंखें ये मासूम मुस्कान 

कोई इस नजर की नजर तो उतारो


सफर लाजमी हे क्या तूफां से डरना 

चलो बावा कश्ती भंवर में उतारो।


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