क़ुर्बत
क़ुर्बत
दिलके छालों को सरेआम दिखाया नहीं करते
और राझ के पर्दे सरे शाम उठाया नहीं करते
कुछ तो यारो करो पर्दा अब इस नुमाइश पर
खाली लोगों को भरे जाम दिखाया नहीं करते
गर्दिशे वक़्त हो या हालात से हो मजबूर मगर
अच्छे लोगों को बुरे काम सिखाया नहीं करते
तजरुबा है जरा जज़बात की नफासत का हमे
रुखे क़ासिद हरे पैगाम भिजाया नहीं करते
हिफाज़त हर एक सजदे की हे लाजमी बावा
दिल में पोशीदा तेरे नाम दिखाया नहींं करते।

