नंदिता को हर्फ़......!!
नंदिता को हर्फ़......!!
जाने क्यों,
हर्फ़ साथ नहीं देते
कोरे पन्नों पे आगाज़ नहीं देते
कलम में स्याही मेरे...फिर भी
ज़िंदगी को आवाज़ नहीं देते....
खामोश आईने
सच का साथ नहीं देते
साये कभी कोई राज़ नहीं देते
बयां अंदाज़ मेरे...फिर भी
आईने से साये आगाज़ नहीं देते...
अपनों साथ होकर
गैरों का नाम नहीं देते
महफ़िल में रह साज़ नहीं देते
मुस्कुराते नैन मेरे.... फिर भी
अपने को अपना राज़ नहीं देते...
राह मुश्किल मिले
कदम जल्दी साथ नहीं देते
मंजिल सामने आज नहीं देते
हौसले डगमगाये मेरे.. फिर भी
एतबार टूटे वो अंदाज़ नहीं देते...
किस्मत की लकीर
वक्त में आज नहीं देते
इश्क में वफा नाज़ नहीं देते
जिंदगी बयां नंदिता... फिर भी
उलझे हर्फ़ बस अल्फाज़ नहीं देते...!!