गुरु चरण।
गुरु चरण।
नाम है गुरु का जग विख्याता,
जाने कब तेरा दीदार होगा,
जिन की महिमा प्रभु भी गाते,
वह गुरु कितना सुन्दर होगा।
गुरु ही ब्रह्मा, गुरु ही विष्णु,
गुरु ही सकल जगत के स्वामी हैं,
जो भी गुरु की संगत है करते,
गुरुमय उसका जीवन होगा।
वेद-पुराण भी यही बतलाते,
काम-क्रोध माया को दूर भगाते,
अहम-भाव उनको छू न पाता,
जो गुरु सेवा में सर्वस्व लुटाते,
शोक- संताप मिटाने को तेरे,
गुरु कृपा ही तेरा संबल होगा।
पाप गठरियां लेकर स्वामी,
तेरे दरबार खड़ा एक भिखारी है,
हम तो ठहरे अधम-अघोर पातकी,
जर्जर नाव मझधार बीच हमारी है,
आस लगाए बैठा अब "नीरज",
"गुरु चरण" में ही जीवन होगा।
