आया ये लोहड़ी त्यौहार आया
आया ये लोहड़ी त्यौहार आया
आया लोहड़ी का त्योहार
आसमां में है पतंगों की बहार
घनन घनन घन डोरी खींचे
सखाओं संग अखियां मीचे
सर्र सर्र सर्र नभ में डोले
फर्र फर्र फर्र हवा में ले हिचकोले
पतंग नभ में फिरे मंडराती
सबके मन को है ललचाती
लाल, पीले, नीले, हरे रंग की
मन में हिलोरें हैं नई उमंग की
तिल लड्डू के बनते पकवान
इस दिन करते लोग तिल दान
मीठी, नमक वाली खिचड़ी पकती
मंदिर, मठ, देवालयों में बंटती
बचपन बीता खुशियां भी बीतीं
अब नहीं बची है कोई प्रीति
फीके से लगते सब तीज त्योहार
कौन करे अब अपना मनुहार।
