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Sapna K S

Classics

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Sapna K S

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तुम

तुम

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सुनो,

कुछ माँगू तुमसे तो दे सकोगे तुम...

हाँ ... तुम अपना वक्त मुझे दो,

उस वक्त में तुम कहीं भी रहों,

बस मेरे होने का एहसास तुम्हारें अंदर बसा रहें...

हाँ ... तुम अपनी साँसे मुझे दो,


जिन से तुम्हारे घर के हर एक कमरे कोने में,

तुम्हारा मेरे आसपास होने का एहसास मुझे दिलाता रहें...

हाँ ... तुम अपनी धड़कने मुझे दो,

जिनकी धुन मेरे कानों को तुम्हारें दिल के इतने करीब रख सके के,

किसी तिसरे का हम दोनों के बीच कोई वजूद ही ना रखें...

हाँ ... तुम अपना साया तुम मुझे दो,


जिस से मैं कहीं पर भी रहूँ ,किसी वक्त भी रहूँ,

तुम्हारा साया मेरा आत्मविश्वास बन मेरे संग हर कदम चलें...

हाँ ... तुम अपनी आवाज मुझे दो,

जिस आवाज के सामने दुनिया की किसी भी बात से,

मेरे दिल को कोई ठेंस ना लगे...

हाँ... तुम मुझे वो अपना स्पर्श दो,


जिसकी महक से मैं अपनी आखरी साँस भी ऐसे जोड़ लूँ के,

जाते वक्त भी सिर्फ तुम्हारी ही बाहों में मेरा जिस्म रहें ...

सबकुछ ही दो अपना..... जो मेरे बाद किसी और का ना हो सके....


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