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कितना बदल गया इंसान

कितना बदल गया इंसान

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देख तेरे संसार की हालत

क्या हो गई भगवान

कितना बदल गया इंसान,

इंसान नहीं इंसान रहा, अब

बन बैठा शैतान

कितना बदल गया इंसान,


पेड़ और जंगल उजाड़े

कर दिए बियाबान

कितना बदल गया इंसान

कन्या, गाय, गंगा की, देखो 

खतरे में है जान

कितना बदल गया इंसान,


जरूरतें अब बहुत बढ़ी हैं

जो थी पहले, बस

रोटी-कपड़ा-मकान

कितना बदल गया इंसान,

कहाँ से फिर होए कमाई

और कैसे चले दुकान?

 कितना बदल गया इंसान,


धर्म-कर्म और सामाजिकता

कि सब, बातें हुई, आसान

कितना बदल गया इंसान,

मोबाइल से ही मिल जाता है

अब तो, भर-भर ग्यान

 कितना बदल गया इंसान,


शहर-शहर फैला प्रदूषण

हर गली, है कूड़ेदान

कितना बदल गया इंसान,

घर-घर में फैली बीमारी

और बदला है, खान-पान

कितना बदल गया इंसान,


सीधेपन और भोलेपन का

नहीं है, नामोनिशान

कितना बदल गया इंसान,

माँ के पेट से ही बच्चे अब

सीधे, पैदा होते हैं जवान

कितना बदल गया इंसान,


रिश्ते-नाते,भाई-बन्धु, की 

घट गई पहचान

कितना बदल गया इंसान,

अनजानों को सब, कहते अपना

और अपने हुए अनजान

कितना बदल गया इंसान,


दान-पुण्य तो खूब हैं करते

खुश करते हैं भगवान

कितना बदल गया इंसान,

माँ-बाप को कुछ ना समझते

जो हैं ईश्वर समान

कितना बदल गया इंसान,


बदल गया पहनावा सबका

और छोटे हुए परिधान

कितना बदल गया इंसान,

हो गई बस दिखावे की अब

आन-बान और शान

कितना बदल गया इंसान,


इंसानों की करतूतों पर 

है, कुदरत भी हैरान

कितना बदल गया इंसान,

आसमान भी, है दुखी और

धरती भी परेशान

 कितना बदल गया इंसान,


देख तेरे संसार की हालत

क्या हो गई भगवान

कितना बदल गया इंसान,

इंसान नहीं इंसान रहा, अब

बन बैठा शैतान

 कितना बदल गया इंसान ।


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