किताब लिख रहा हूँ...
किताब लिख रहा हूँ...
बिखरी-बिखरी जुल्फों पे
किताब लिख रहा हूँ
पल-पल, हर पल उसके
ख़्वाब लिख रहा हूँ
उसके पूछे हुए
हर सवालों का
जवाब लिख रहा हूँ
सुर्ख़ होंठ, ग़ुलाबी गाल,
थिरकती क़मर पे
नायाब लिख रहा हूँ.
नाक की नथुनी,
कान की बाली,
गाल के काले तिल पे
बेहिसाब लिख रहा हूँ
उसके फेवरेट सूट-दुपट्टे
और पिंक साड़ी पे
लाजवाब लिख रहा हूँ
बिखरी-बिखरी जुल्फों पे
किताब लिख रहा हूँ....

