किताब का पन्ना..
किताब का पन्ना..
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तुझको लिखने बैठे तो...
तो शायद किताब का हर पन्ना कम पड़ जायेगा!
इतना बाते हैं.. इतनी यादें हैं. इतने फसाने .. हैं.
जो बीते दिनों की याद में याद कर हम याद करते हैं!
उसके लिए जीवन की यादों का हमने पिटारा खोला
हर एक पन्ने पर हमने लिख दिया बहुत कुछ..
पर जीवन की किताब एक पन्ने या
पूरी किताब पर कभी नहीं लिखी जा सकती.
क्योंकि जीवन तो अपना चलता रहा है.
बहुत सी उलझने रहती है...जीवन में..
जो किताब के पन्नों पर उतारी नहीं जा सकती।