किस्मत
किस्मत
हमारा मिलना इत्तेफ़ाक़ नहीं,
हमें किस्मत ने मिलाया है।
कोई यूँ ही तो मीलों का सफर तय कर,
इतनी दूर तक नहीं आता।
कुछ तो रहा होगा मुझ में
अलग जो तुम्हें भाया होगा,
कुछ तो होगा तुम में अलग,
जिस पर मेरा दिल आया होगा,
शायद हो रिश्ता पिछले जनम का
क्या पता वही खींच कर तुम्हें,
मेरे शहर तक लाया होगा।
माना हम एक दूसरे से बेहद अलग हैं,
लेकिन जब से जुड़े हैं, तब से लगता ही नहीं
हम कभी जुदा भी थे।
हमारे मिलने पर ज़माने ने कई सवाल उठाये,
कुछ को हमारी अलग भाषा पर,
तो कुछ को अलग रीति रिवाज़ों पर एतराज़ था।
कैसे समझाय ज़माने को?
हमारा मिलना इत्तेफ़ाक़ नहीं,
हमें किस्मत ने मिलाया है।
और उस पर सवाल कैसा,
जिसने पूरी सृष्टि को सजाया है।