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अजय '' बनारसी ''

Drama

3.3  

अजय '' बनारसी ''

Drama

किसान के बेटे की कविता

किसान के बेटे की कविता

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बरखा रानी, बरखा रानी

बरसो झूम झूम, कर पानी।


देखो सूखे, पोखर सारे

नदियाँ और तलैयाँ

पिछले सूखे में, खेत जले

रसोई में माँ की, आँखों में पानी।


बरखा रानी, बरखा रानी

बरसो झूम झूम, कर पानी।


पेड़ों को काटा, शहरों ने

गुम हुई, हरियाली है

क्यों रूठी हो, हमसे

खाली है खेत और खलियान।


सुखी होली और दीवाली है

दे दो हमको अमृत सा वर

और करो न अब मनमानी।


बरखा रानी, बरखा रानी

बरसो झूम झूम, कर पानी।।


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